
पौराणिक कथा- कुंड से संबंधित एक कथा के अनुसार कंस ने भगवान श्रीकृष्ण का वध करने के लिए अरिष्टासुर नामक दैत्य को भेजा था। अरिष्टासुर बछड़े का रूप लेकर श्रीकृष्ण की गउओं में शामिल हो गया और उन्हें मारने लगा। भगवान श्रीकृष्ण ने बछड़े के रूप में छिपे दैत्य को पहचान लिया और पकडक़र उसका वध कर दिया। यह देखकर राधा ने श्रीकृष्ण से कहा कि उन्हें गो हत्या का पाप लग गया है। इस पाप से मुक्ति हेतु उन्हें सभी तीर्थों के दर्शन करने चाहिए। श्रीकृष्ण ने एक कुंड में सभी तीर्थों के जल को आमंत्रित किया और स्नान करके पाप मुक्त हो गए। उस कुंड कोकृष्ण कुंड कहा जाता है, जिसमें स्नान करके श्रीकृष्ण गो हत्या के पाप से मुक्त हुए थे, माना जाता है कि इस कुंड का निर्माण श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी से किया था। श्रीकृष्ण द्वारा बने कुंड को देख राधा ने भी उस कुंड के पास ही अपने कंगन से एक और छोटा सा कुंड खोदा। देवी राधा द्वारा बनाया कुंड राधा कुंड के नाम से प्रसिद्ध हुआ। माना जाता है कि अहोई अष्टमी तिथि को इन कुंडों का निर्माण हुआ था, जिसके कारण अहोई अष्टमी को यहां स्नान करने का विशेष महत्त्व है। प्रतिवर्ष यहां अहोई अष्टमी पर बड़ी संख्या में भक्त स्नान के लिए आते हैं। कृष्ण कुंड और राधा कुंड की अपनी-अपनी विशेषता है। कृष्ण कुंड का जल दूर से देखने पर काला और राधा कुंड का जल दूर से देखने पर सफेद दिखता है।