गाजियाबाद। समाजसेवी वीर सिंह त्यागी ने कहा शास्त्रों में परमात्मा के तीन रूप ब्रह्मा, विष्णु, महेश हैं। ऋषि-महर्षियों द्वारा श्रीगणेश जी को ब्रह्म का स्वरूप बतलाया गया है। जिस प्रकार से एक ही परमात्मा के होते हुए उनके तीन स्वरूप ब्रह्मा, विष्णु, महेश की अपनी-अपनी विशेषताऐं हैं, उसी प्रकार से ब्रह्म स्वरूप श्रीगणेश जी की अपनी विशेषता है और यही विशेषताऐं उन्हें जगत में प्रथम पूज्य के रूप में प्रतिष्ठित करती हैं। गणेश जी की प्रथम पूजा करने के बाद ही अन्य शुभ कार्य

अथवा पूजन किया जाता है। मंगलमूर्ति और प्रथम पूज्य भगवान गणेश को संकटहरण भी कहा जाता है। मान्यता है कि संकटा चतुर्थी के दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से जहां सभी कष्ट दूर हो जाते हैं वहीं इच्छाओं और कामनाओं की पूर्ति भी होती है। इस दिन तिल दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन गणेशजी को तिल के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। शास्त्रों के मुताबिक देवी-देवताओं में सर्वोच्च स्थान रखने वाले विघ्न विनाशक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है।