गाजियाबाद । माता-पिता से बढ़कर जग में कोई भगवान नहीं, चुका पाऊं जो उनका ऋण इतना में धनवान नहीं। आजकल के आधुनिक युग की फास्ट होती जिंदगी में एकल होते परिवारों में
अक्सर यह देखने को मिलता है कि बुजुर्ग माता-पिता को उनकी संतान तब बेसहारा छोड़ देती है जब उन्हें सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। कई बार प्रताड़ित तक करती है। इस आधुनिक युग में यह हो रहा है कि आजकल की संतानों के लिए उनके माता-पिता उन पर बोझ बन रहे हैं जबकि उसी संतान की जिंदगी संवारने में वह स्वयं कितने बोझ के नीचे आ जाते हैं उसका पता वह अपनी संतान को नहीं होने देते। अपनी संतान को पढ़ा लिखा कर विदेश भेजते हैं और यहां वह स्वयं अपना गुजारा करने के लिए मेहनत मजदूरी करते हैं।यह कहना है भाजपा नेता और
धर्म यात्रा महासंघ के अध्यक्ष विकास बंसल का। उन्होंने कहा कि लेकिन शायद वह ये भूल जाते हैं कि कुछ सालों का ही तो अंतर होता है वृद्ध और युवा वर्ग में चूल्हे की लकड़ी के समान जिंदगी
जलती है, सुलगती है, आगे बढ़ती रहती है और खत्म हो जाती है। ये ही तो जीवन की सच्चाई है। आज आंखें मूंद लेने से ये सच तो समाप्त नहीं होगा कि कल ये ही हश्र युवाओं का होना है। जीवन का वास्तविक सच क्यों भूल जाते हैं? थके कदम, बोझिल जिंदगी और
बूढ़ी आंखें सदैव किसी इंतजार और घबराहट में डूबी रहती हैं, फिर वह इंतजार अपने बच्चों का
हो, किन्हीं रिश्तों का हो या मौत की तरफ बढ़ते कदमों का। जिस संतान के लालन पालन में स्वयं के लिए कभी वक्त नहीं निकाल पाए, अपनी जिंदगी को, उसकी ख्वाइशों और जिद को पूरा करने में ही निकाल दिया. स्वयं जीये ही नहीं, अपना वर्तमान उसके भविष्य को संवारने में लगा दिया, वही संतान अपना भविष्य सुरक्षित होते ही मां-बाप के लिए घर से दूर ठिकाना ढूंढने
लगती है।उनका जीवन जो खुशियों
से भरनाचाहिए था दु:ख से भर देती हैं।
स्वर्गीय अनंगपाल धामा की 11वीं बरसी पर मनोज धामा ने परिवार के साथ किया हवन पूजन
लोनी। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी रालोद के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व चेयरमैन मनोज धामा ने अपनी धर्मपत्नी चेयरमैन रंजीत धामा एवं परिवार के