नौ दिन तक सर्द मौसम में डाले रहे घटना स्थल पर डेरा
पूरे देश को है जनरल वीके सिंह को नाज
गाजियाबाद।एक बार फिर जनरल वीके सिंह ने संकटमोचक की भूमिका निभाई। सर्द मौसम में नौ दिन बचाव स्थल पर डेरा डाले रहे। देश को जनरल वीके सिंह की इस कार्यक्षमता पर नाज है। उत्तरकाशी टनल से सभी 41 मजदूर सुरक्षित बाहर आ गए हैं। 12 नवम्बर को ये सभी मजदूर टनल में फंस गये थे। मंगलवार का दिन इन मजदूरों के लिए,
इन मजदूरों के परिजनों के लिए कुशल मंगल का संदेश लेकर आया। यहां पर 12 नवम्बर से फं से सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और गाजियाबाद के लोक सभा सांसद व केन्द्रीयमंत्री जनरल वीके सिंह ने श्रमिकों से बात की। इन मजदूरों को स्पेशल अस्पताल ले जाया गया। यह सफलता 17वें दिन मिली और जनरल वीके सिंह के कुशल नेतृत्व में 16वे ं दिन उत्तर काशी सिलक्याराटनल में फंसे श्रमिक बाहर आ गए। बचाव कार्य में जुटी एजेन्सियों और पूरी टीम के अथक प्रयासों से ये सफलता मिली। जनरल गाजियाबाद के लोकसभा सांसद जनरल वीके सिंह को देश का संकट मोचक ऐसे ही नहीं कहा जाता है। वो एक ऐसे लोकसभा सांसद हैं, जिन पर सरकार भरोसा करती है और सरकार के भरोसे पर वो खरा उतरते हैं। केवल देश में नहीं बल्कि विदेश की सरजमीं से वो भारतीयों को सुरक्षित वापस लेकरआए हैं। सेना प्रमुख के रूप में देश को अपनी सेवाएं दी हैं और सांसद तथा केन्द्रीय् ामंत्री होने के बाद भी वो भारतीयों को बचाने के आॅपरेशन को अंजाम देते हैं। देशवासी उन्हें उनके इस शौर्य और बचाव के लिए संकट मोचक का नाम देते हैं। यह पहला मौका नहीं है,इससे पहले जनरल वीके सिंह यमन और सूडान जैसे देशों से भी भारतीयों को सुरक्षित निकाल कर लाये थे। पूरे देश ने देखा था जब वो यूक्रेन युद्ध में फंसे भारत के 3800 छात्रों को सुरक्षित भारत की सरजमी पर लेकर लौटे थे। किस तरह से उन्होंने बचाव आॅपरेशन चलाया था और हजारों घरों के चिरागों को युद्ध की विभीषिका में बुझने से बचाया था। यहां भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन पर भरोसा जताया और इस भरोसे पर जनरल खरे उतरे। जब जनरल वीके सिंह के कपड़े भी पहुंचाए गए उनके घर से टनल की ओर रवाना हो गए। काम के प्रति समर्पण ऐसा कि सब कुछ भूलकर घटना स्थल पर डेरा डाल लिया। वो जनरल रहे हैं और ट्रेंड कमाण्डो के साथ-साथ कई उपलब्धियां उनके नाम हैं। वो जानते हैं कि चुनौती बड़ी हो तो सामना कैसे करना है। ये जज्बा है कि सर्द मौसम में वो सब कुछ भूल गए और नौ दिन तक लगातार डेरा डाल कर रहे। बचाव पर ध्यान ऐसा कि खाना और सोना भी समय से नहीं। बतातेहैं कि वह सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे थे फिर वहीं पर कमान सम्भाली। उनके कपड़े भी बाद में घर से वहां पहुंचाए गए।
बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेदकर का महापरिनिर्वाण दिवस,उल्लासपूर्वक मनाया गया, राम दुलार यादव
साहिबाबाद डा0 अम्बेदकर जन कल्याण परिषद् उ0 प्र0 द्वारा संविधान निर्माता, कानूनविद, महान अर्थशास्त्री, मूर्धन्य विद्वान, सामाजिक क्रान्ति के अग्रदूत बाबा साहेब डा0भीमराव अम्बेदकर का