जाति समीकरण में हांफे पार्टी के सूरमा
भाजपा के पदाधिकारी पसोपेश में
गाजियाबाद। पश्चिम यूपी की नब्ज को बखूबी समझने वाले संगठन महामंत्री धर्मपाल एवं प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी के सामने चुनौतियों का नया पहाड़ खड़ा है। उन्हें नए अध्यक्षों के चयन में संघ की पसंद सांसदों-विधायकों की पैरवी जातीय समीकरण एवं नेतृत्व की पसंद के बीच तालमेल बिठाने का कड़ा होमवर्क मिला है। प्रदेश अध्यक्ष बनने के एक साल बाद भी भूपेन्द्र चौधरी संगठन में बदलाव की गति बढ़ा नहीं पाए हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने जिला व महानगर अध्यक्ष पद के नामों को लेकर खासे उलझन में फंसे हुए हैं। दावेदारों की पूरी सूची तैयारी कर भाजपा राष्टÑीय अध्यक्ष को भेज दी गई है लेकिन वहां पर जाति समीकरण आड़े आ रहा है। भाजपा हाईकमान लोकसभा चुनाव 2024 के चुनावी रनवे पर खड़ी भाजपा महानगर व जिलाध्यक्षों में बदलाव को लेकर ठिठक गई है और किसी प्रकार से रिस्क नहीं लेना चाहती है। क्योंकि लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा नेतृत्व समाज के किसी भी वर्ग से नाराजगी नहीं लेना चाहती है। भाजपा नेतृत्व को अच्छी प्रकार पता है कि किसी भी जाति का प्रतिनिधित्व नहीं मिला तो आगामी लोकसभा चुनाव में खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। यही वजह है कि भाजपा आगे की रणनीति को देखते हुए फंूंक- फूंककर कदम उठा रही है। प्रदेशभर में 45 नए जिलाध्यक्षों की सूची बना तो ली गई, लेकिन पश्चिम के कई जिलों में जाट-गुर्जर, सैनी-कश्यप के अलावा ब्राह्मण-वैश्य व ठाकुर चेहरों की नए सिरे से हुई दावेदारी ने पेंच उलझा दिया। पश्चिम उत्तर प्रदेश की नब्ज को बखूबी समझने वाले संगठन महामंत्री धर्मपाल एवं प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी के सामने चुनौतियों का नया पहाड़ खड़ा है। उन्हें नए अध्यक्षों के चयन में संघ की पसंद, सांसदों-विधायकों की पैरवी, जातीय समीकरण एवं नेतृत्व की पसंद के बीच तालमेल बिठाने का कड़ा होमवर्क मिला है। पश्चिम क्षेत्र की 14 में से हारी सात सीटों पर फिर से भगवा फहराने का लक्ष्य दिया गया है। उधर, सभी जिलों में सांसद और संगठन आमने-सामने होने से तकरार बढ़ रही है। प्रदेश अध्यक्ष बनने के एक साल बाद भी भूपेन्द्र चौधरी संगठन में बदलाव की गति बढ़ा नहीं पाए हैं। उन्होंने प्रदेश कार्यकारिणी में आंशिक बदलाव और सभी छह क्षेत्रीय अध्यक्षों को बदला, लेकिन क्षेत्रीय कार्यकारिणी और जिलाध्यक्षों का नाम तय होने में कई दौर की बैठक हो चुकी। काशी, ब्रज, अवध, गोरखपुर एवं बुंदेल क्षेत्र में ज्यादातर समीकरण ब्राह्मण, वैश्य, ठाकुर, दलित एवं ओबीसी में बंटा है, वहीं पश्चिम क्षेत्र में यही ओबीसी वर्ग जाट, गुर्जर, कश्यप, सैनी और प्रजापति में बंट जाता है। सभी जातियां संगठन में अपना प्रतिनिधित्व मांग रही हैं, जिसकी वजह से सूची दो माह से अटकी हुई है। पश्चिम क्षेत्र के 19 जिलाध्यक्षों में सिर्फ शामली में जाट अध्यक्ष है। मेरठ महानगर, सहारनपुर महानगर, रामपुर, गाजियाबाद जिला व नोएडा महानगर को मिलकर सर्वाधिक पांच वैश्य चेहरों को अध्यक्ष बनाया गया है। इस बार ठाकुर चेहरों ने बुलंदशहर, हापुड़, मेरठ जिला, बिजनौर एवं सहारनपुर पर भी दावा जताया है। चार जिलों में ब्राह्मण एवं तीन जिलों में गुर्जर अध्यक्ष हैं। पार्टी ने सैनी, प्रजापति एवं कश्यप की भागीदारी बढ़ाने पर होमवर्क किया है, वहीं महिला कोटे से भी तीन जिलाध्यक्ष बनाए जाने हैं। सभी सांसद अपनी पसंद के अध्यक्ष की लाबिंग कर रहे हैं, जबकि संगठन एवं संघ ने अलग नाम भेजा है।
विकासखंड रजापुर के प्रांगण में निपुण कार्यशाला एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया
गाजियाबाद विकासखंड रजापुर के प्रांगण में निपुण कार्यशाला एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया ।कार्यक्रम में प्राथमिक विद्यालय और कंपोजिट विद्यालयों के कक्षा 1,2,3 को