अमावस्या क्योंकि मंगलवार के दिन पड़ रही है इसे इसलिए भौमवती अमावस्या भी कहा जाता है और भौमवती अमावस्या का मणिकांचन योग इस वर्ष मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान के महत्व को कई गुना बढ़ा देगा। कहा जाता है इस दिन प्रयागराज के संगम में मौन रहकर स्नान और दान करने से व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या का महत्व
जैसा कि नाम से ही साफ है मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने का विशेष महत्व बताया जाता है। हालाँकि यदि आप पूरे दिन मौन नहीं रह सकते हैं तो भी कम से कम सवा घंटे का मौन अवश्य रखें। ऐसे में इस दिन मौन रहकर मुनियों के समान आचरण अर्थात व्यवहार करने से, उन्हीं के अनुरूप स्नान करने से व्यक्ति को समस्त पापों से छुटकारा मिलता है और मनोकामनाएं पूरी होती
स्वाभाविक सी बात है यह विशेष संयोग इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ाने वाला होगा। ऐसे में यदि आपको अपने पितरों की आत्मा शांति के लिए तर्पण करना हो, अपने पापों से छुटकारा प्राप्त करना हो, किसी भी मनोकामना की पूर्ति करनी हो, तो मौनी अमावस्या के दिन आपको इस दिन के नियमों का पालन करने का विधान बताया जाता है।
कहते हैं इसी शुभ दिन हमारे पितृगण स्वर्ग लोक से उतरकर संगम में स्नान करने आते हैं। साथ ही देवता भी इस दिन इंसानी रूप धारण करके संगम में स्नान करने के लिए आते हैं। यही वजह है कि इस दिन यदि जप, तप, ध्यान, स्नान, दान, यज्ञ, हवन, श्रद्धा के साथ किया जाए तो इससे कई गुना फल की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या के दिन मिलने वाले फल
मौनी अमावस्या के दिन यदि श्रद्धा पूर्वक स्नान दान और व्रत किया जाए तो उससे पुत्री और दामाद की आयु बढ़ती है।
पुत्री को अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।
सौ अश्वमेध यज्ञ और एक हज़ार राजसूय यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।शनि के अशुभ प्रभावों से छुटकारा मिलता है।
यदि इस दिन तिल और जल से पितरों का तर्पण किया जाए तो पितरों को स्वर्ग में अक्षय सुख मिलता है।
इसके अलावा यदि इस दिन गुड़, घी, तिल और शहद से बनी खीर गंगा में डाली जाए तो इससे हमारे पितृ तृप्त होते हैं और अपने संतानों की सभी कामनाएं पूरी करते हैं।
मौनी अमावस्या के दिन करें ये काम पितरों को मिलेगी शांति और पितृदोष से भी मिलेगी राहत अपने पितरों का ध्यान करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें और अपने पितरों की आत्मा की शांति की कामना करें।
सूर्य को अर्घ देने वाले जल में लाल फूल और काले तिल अवश्य डालें।*
पीपल के पेड़ पर सफेद रंग की मिठाई चढ़ाएं और पेड़ की 108 बार परिक्रमा अवश्य करें।
इस दिन जरूरतमंद और गरीब लोगों को तिल के बने लड्डू, तिल का तेल, आंवला, कंबल, इत्यादि अवश्य दान करें।
पितृदोष निवारण के लिए करें ये उपाय
यदि आपके जीवन में पितृदोष जैसे गंभीर दोष का साया है तो आपको मौनी अमावस्या के दिन कुछ उपाय करने की विशेष सलाह दी जाती है, जैसे कि, इस दिन स्नान आदि करने के बाद घर के दक्षिणी हिस्से को साफ़ करके वहां एक सफ़ेद कपड़ा रखें। इस कपड़े के ऊपर अब तिल रख दें। इसके बाद यहाँ एक पितृ यन्त्र स्थापित करें। एक लोटे में पानी रखें और उसके ऊपर तिल लगी रोटी भी रख दें। पितरों के नाम से तिल के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद यहाँ एक तुलसी का पत्ता रखें। सफ़ेद फूल रखकर चन्दन का तिलक लगायें। इसके बाद रोटी के चार टुकड़े करके आपको इसे चार लोगों (कुत्तों, कौवों, गाय, पीपल के पेड़ के नीचे) को खिलाना है।
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समाजसेवी विनोद जिंदल